
जीबीएस सिंड्रोम : देश के कुछ हिस्सों में इन दिनों एक नई बीमारी फेल रही है| जिसका असर महाराष्ट्र के पुणे कोलकात के बाद अब रांची में भी देखने को मिल रहा है| रांची में एक 5 साल की बच्ची का केस सामने आया है| जीबीएस सिंड्रोम के लक्षण सामने आने के बाद उसके स्टूल कलेक्ट करके सेम्पल को टेस्ट के लिए पुणे भेज दिया गया है| बच्ची का इलाज रांची के बालपन चिल्ड्रेन अस्पताल में चल रहा है| गोरतलब हो की पुणे में भी इस सिंड्रोम से प्रभाबित अब तक 130 से जायद मरीज़ मिल चुके है| वही 3 लोगो की मोत भी हो चुकी है| वही बंगाल में भी इसका असर देखने को मिल रहा है | बंगाल में अब तक 1 बच्चे और सहित 3 लोगो की मोत हो चुकी है| हलाकि हेल्थ डिपार्टमेंट मोत के कारणों की अभी तक स्पष्ट पुष्टि नहीं की है| गुइलेन-बेरे सिंड्रोम एक रेयर कंडीसन है जो प्रभाबित व्यक्ति के नर्वस सिस्टम पे अटैक करके मॉसपेशियों में कमजोरी और सुन्नता का कारण बनती है| ये बच्चो और युबाओ में पाया जाता है| हलाकि इसका इलाज संभव है और अधिकांश मरीज़ इस बीमारी से पूरी तरह ठीक भी हो जाते है|
क्या है जीबीएस सिंड्रोम
GBS गुईलेन बेरे सिंड्रोम ये एक दुर्लभ स्थिति जिसमे प्रभाबित व्यक्ति के शरीर में आचानक से सुन्न होने के साथ ही मॉसपेशियों को कमज़ोर हो जाती है| सिंड्रोम का असर सबसे जायद उन लोगो पे होता है जिनका इम्मुन सिस्टम कमज़ोर होता है| इस बीमारी से मरीज में अधिक से अधिक कमजोरी देखने को मिल रही हे इस बीमारी में मरीज की मांसपेशियों में दर्द देखा जा रहा हे, सांस से जुड़ी दिक्कतों का सामना भी करना पड़ रहा हे| यहाँ तक कि कोविड दौरान भी इसके मामले सामने आए थे। GBS शायद एक ऑटोइम्यून प्रतिक्रिया के कारण होता है| जब आपके शरीर की प्रतिक्षा प्रणाली आपके शरीर के कुछ हिस्सों पर हमला करती है। यह अक्सर मामूली संक्रमण से ट्रिगर होता हे, आमतौर पर कमजोरी ओर असामान्य संवेदनाएं दोनों पैरों से शुरू होती हे ओर पैरो से शुरू होते होते ऊपर की ओर जाती हे। हलाकि इस बीमारी का इलाज संभव है और सही समय पे सही इलाज मिलने पर मरीज़ सही हो सकता है|
GBS ( गुईलेन बेरे सिंड्रोम ) के लक्षण
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ब्लड प्रेशर संबंधी समस्या
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असामान्य हृदय ताल
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पेशाब ना कर पाना
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कब्ज ( मल करने में परेशानी )
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कमजोरी या पिन या सुई की चुभन महसूस होना, जो पैरों में शुरू होता हे ओर ऊपर की ओर बढ़ता हे।
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चीजों को महसूस करने में समस्या ( संवेदना में कमी ) होती हे।
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कभी – कभी सांस लेने , चबाने , निगलने या बोलने में दिक्कत आती हे।
GBS गुईलेन बेरे सिंड्रोम के कारण
GBS गुईलेन बेरे सिंड्रोम कारण इस प्रकार देखे जा रहे हैं,कुछ मामलों में यह बैक्टिरियल या वायरल संक्रमण के बाद होता हे
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कैंपीलोबेक्टर जैजुनी नामक बैक्टिरियल संक्रमण
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फ्लू या साइटोमेगालोवायरस, एपस्टीन बार वायरस, जीका वायरस जैसे वायरल संक्रमण
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कभी कभी सर्जरी भी GBS को ट्रिगल कर सकती हे
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यह एक ऑटोइम्यून विकार हे
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इसमें शरीर की प्रतिक्षा प्रणाली खुद ही हमला करती हे
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यह मुख्य रूप से उन नसों पर हमला करती हे जो मांसपेशियों की गति और संवेदना को नियंत्रित करती हे
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GBS से संक्रमित लोगों के मस्तिष्क द्रव में प्रोटीन का स्तर सामान्य से ज्यादा होता हे।
डॉक्टर कैसे जाने की GBS गुईलेन बेरे सिंड्रोम हे या नहीं
1 इलेक्ट्रोमायोग्राफी ( मांसपेशियों से संबंधित एक टेस्ट, इसमें मांसपेशियों की विद्युत गतिविधि को रिकॉर्ड करने के लिए छोटी सुइयों का इस्तेमाल किया जाता हे
2 स्पाइनल टेप ( डॉक्टर आपकी पीठ के निचले हिस्से से स्पाइनल फ्लूड निकलने के लिए एक लंबी सुई का इस्तेमाल करते हे
कैसे कर सकते हे GBS का उपचार
अस्पताल में डॉक्टर आपकी देख भाल करेंगे, क्योंकि आपको बहुत जल्द सांस लेने में जानलेवा किस्म की समस्या हो सकती हे इसका इलाज जल्द से जल्द शुरू होना चाहिए
• शिरा द्वारा दी गई इम्यून ग्लोबुलिन ( एक दबा जिसमें सहायक एंटीबॉडीज होते हे जो ऐसे एंटीबॉडीज को अवरुद्ध कर सकते हे जो आपकी नसों को नुकसान पहुंचा रहे हे।
• श्वसन देखभाल : यदि GBS आपकी सांस लेने के लिए आवश्यक मांसपेशियों को प्रभावित करती हे तो आपको यांत्रिक वेंटिलेशन की आवश्यकता हो सकती हे GBS से पीड़ित 30% लोगो में श्वसन विफलता होती हे।
• रक्त के थक्के की रोकथाम : आपका प्रदाता आपको दीप वेन थ्रोबोसिस को रोकने में मदद करने के लिए हेपरिन एंटीकुगुलेंट दे सकता है ऐसा तब हो सकता जब आप को पूरी तरह से पक्षाघात हो ओर लंबे समय तक चिकित्सा बिस्तर पर हो।
• IV तरल पदार्थ ट्यूब ओर फीडिंग : यदि निगलना मुश्किल हे तो आपको निर्जली कारण को रोकने के लिए आपको IV तरल पदार्थ ओर कुपोषण को रोकने के लिए नासोगैस्ट्रिक ट्यूब की आवश्यकता हो सकती हे ये एस्पिरेशन निमोनिया को रोकने में भी कम करते हे।
उपचार में लक्षणों को प्रतिबंध लगाने के लिए सहायक चिकित्सा ओर रक्त आधान शामिल हे।
इन लक्षणों से राहत के लिए खून से जुड़े खास तरह के इलाज किए जाते हे। इनमें प्लाज्मा एक्सचेंज और इम्युनोग्लोबाइलिन थेरेपी शामिल हे ओर इसमें फिजियोथेरेपी की भी जरूरत पड़ती हे