
दिल्ली विधानसभा चुनाव: दिल्ली का पहला चुनाव साल 1952 में हुआ था। उस समय कांग्रेस पार्टी ने 48 में से 39 सीटों पे जीत हासिल कर के अपनी सरकार बनाई थी। लेकिन जब साल 1956 में राज्य पुनर्गठन आयोग की सिफारिश के बाद मंत्रिपरिषद को भंग कर दिया गया और दिल्ली पर केंद्र का शासन लागू हो गया| फिर साल 1966 में आया मेट्रोपॉलिटन काउंसिल का दौर। जिसमें कुल 61 सदस्य थे| जिसमें से 56 सदस्य चुने जाते थे। और 5 को राष्ट्रपति द्वारा मनोनीत किया जाता था। यह कॉन्सिल सिर्फ सलाहकार की भूमिका के रूप में काम करती थी| इसके पास कोई भी कानून बनाने की शक्तियां नहीं थी। इसलिए साल 1987 में केंद्र सरकार ने एक समिति का गठन किया जिसका काम प्रशासन से जुड़े मुद्दों की जांच करके अपनी रिपोर्ट देनी थी। इस समिति ने कई सुझाव सरकार को दिए जिसमें दिल्ली को विधानसभा देने का प्रस्ताव शामिल था। लेकिन इसे पूर्ण राज्य का दर्ज नहीं दिया जा सकता था। सरकार ने इन सुझावों को मानते हुए। साल 1991 में संविधान के अंदर 69 बा संशोधन पारित किया। इसके तहत दिल्ली में विधानसभा का गठन किया गया। और राजधानी क्षेत्र का विशेष दर्ज़ा प्राप्त हुआ।
साल 1993 में हुआ पहला विधान सभा चुनाव।
साल 1993 में 37 साल बाद जब विधानसभा चुनाव करवाए गए तो उस समय भी दिल्ली विधानसभा में 70 सीटे थी उस समय राम मंदिर की लहर हर तरफ चल रही थी। और इस लहरा का फायदा आज की बीजेपी जो उस समय जनसंघ के नाम जानती जाती थी को मिला। साल 1993 विधानसभा चुनाव में भाजपा सबसे बड़ी पार्टी बनके सामने आई और सता संभाली। उस समय भाजपा को 42 प्रतिशत वोट मिले थे| और 49 सीटों पे जीत हासिल की थी। वही कांग्रेस को 14 सीट जनता दल को 4 और 3 निर्दलीय कैंडिडेट चुनाव जीत के विधानसभा आए थे। चुनावों के बाद भाजपा ने दिल्ली में अपना पहला मुख्यमंत्री मदनलाल खुराना को बनाया। लेकिन उनका कार्यकाल विवादों में घिरा रहा। और साल 1996 में भाजपा ने अपने दूसरे मुख्यमंत्री साहिब सिंह वर्मा और फिर सुषमा स्वराज ने दिल्ली की कमान सँभालने को दी। इस तरह भाजपा को अपने 5 साल के कार्यकाल में ही 3 मुख्यमंत्री बदलने पड़े।
साल 1998 के चुनावों में भाजपा से कांग्रेस के हाथ गई सत्ता।
भाजपा के 5 साल के कार्यकाल के बाद साल 1998 में फिर से विधानसभा चुनाव हुए। इन चुनावों में कांग्रेस ने भाजपा से सत्ता छीन के अपने नाम कर ली। उस समय कांग्रेस ने 52 सीट पे जीत हासिल की। और शीला दीक्षित को मुख्यमंत्री बनाया गया। 1998 के चुनावों में भाजपा को 17 और जनता दल को 1 ही सीट मिली।
साल 2003 और 2008 में भी कांग्रेस ने अपना प्रदर्शन दोहराया।
साल 1998 में अपनी जीत के प्रदर्शन को कांग्रेस ने बरकरार रखते हुए 2003 और 2008 में दो बार सरकार बनाने में सफलता पाई। दोनों ही बार कांग्रेस ने शीला दीक्षित को अपना मुख्यमंत्री बनाया। 2003 में कांग्रेस को 47 भाजपा को 20 सीटे मिली तो 2008 के चुनाव में कांग्रेस को 43 और भाजपा को 23 सीटें मिली। अपने 3 बार के कार्यकाल में शीला दीक्षित ने कई योजनाएं चलाई। और दिल्ली के विकास के लिए दिल्ली मेट्रो, फ्लाईओवर का निर्माण, और सीएनजी बसों का संचालन जैसे काम किए।
आंदोलन के बाद छीन गई कांग्रेस से सत्ता।
अगस्त 2011 में जब लोकपाल बिल को लेकर सोशल एक्टिविस्ट अन्ना हजारे ने आंदोलन शुरू कर दिया। इस आंदोलन की आग धीरे धीरे पूरे देश में फैलती गई। और सत्ता रूढ़ पार्टी के खिलाफ माहौल बन गया| इस आंदोलन को कई बड़ी हस्तियों अनुपम खेर, जनरल वीके सिंह, योगेन्द्र यादव, किरण बेदी और कुमार विश्वास समर्थन प्राप्त हुआ। वही आंदोलन के बाद अरविंद केजरीवाल, संजय सिंह और साजिया इल्मी जैसे लोग हीरो बन के उभरे बाद में इस आंदोलन से जुड़े कई लोगों ने मिल के आम आदमी पार्टी नाम से पार्टी बनाई जिसके संयोजक अरविंद केजरीवाल बने। इसके बाद साल 2013 में जब दिल्ली विधानसभा चुनाव हुए तो पहली बार दिल्ली में त्रिशंकु सरकार बनी। इन चुनावों में किसी भी पार्टी को जनता ने स्पष्ट बहुमत नहीं दिया। हालांकि इस समय भाजपा 31 आप 28 और कांग्रेस सिर्फ 8 सीट ही जीत पाई। हालांकि भाजपा सबसे बड़ी पार्टी होकर भी बहुमत के आंकड़े से दूर थी। भाजपा समर्थन जुटाने में नाकामयाब रही। और आप ने कांग्रेस के समर्थन हासिल कर के गठबंधन की सरकार बना ली। जिसके मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल बने। हालांकि ये सरकार 49 दिन ही चल पाई। और कांग्रेस ने समर्थन वापस ले लिया।
सबसे बड़ी पार्टी बनके उभरी आम आदमी पार्टी।
2013 में सिर्फ 49 दिन की सरकार गिर जाने के बाद साल 2015 में फिर से चुनाव हुए। इन चुनावों में आप पार्टी 67 सीटे जीत के सबसे बड़ी पार्टी बनके उभरी और भाजपा को 3 सिर्फ सीट ही मिली। फिर साल 2020 के चुनावों में भी आप ने अपने प्रदर्शन को दोहराया और आप को 62 और भाजपा को 8 सीटे ही मिली। दोनों ही चुनावों में कांग्रेस अपना खाता भी नहीं खोल पाई और 0 पे ही सिमट के रहे गई। आप के दोनों कार्यकाल में अरविंद केजरीवाल ने मुख्यमंत्री के रूप में कमान संभाली। केजरीवाल के सीएम रहते हुए उन्हें कई आरोपों का भी सामना करना पड़ा। फिर जब केजरीवाल को आबकारी नीति से जुड़े घोटाले में जेल जाना पड़ा। केजरीवाल मुख्यमंत्री रहते हुए जेल जाने बने पहले नेता बन गए। जेल जाने और इस्तीफा देने के बाद 21 सितंबर 2024 को आम आदमी पार्टी की नेता आतिशी मार्लेना ने दिल्ली के 8 बी मुख्यमंत्री के रूप में पद संभाला।
साल 2025 में भाजपा ने जीत का परचम लहराया।
8 फरबरी 2025 को जब दिल्ली विधानसभा के रिजल्ट आए तो भाजपा सबसे पार्टी बनके उभरी और 70 में से 48 सीटे जीत के पूर्ण बहुमत हासिल किया। वही आप पार्टी को सिर्फ 22 सीटे ही मिली। और कांग्रेस ने अपने रिकॉर्ड को बनाए रखा और तीसरी बार भी खाता नहीं खोल पाई। 2025 के चुनावों में आप के कई बड़े नेता पूर्व डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया, सतेंद्र जैन यहां तक कि पूर्व मुख्यमंत्री और पार्टी के संयोजक अरविन्द केजरीवाल को भी हार का सामना करना पड़ा। इस विधानसभा चुनाव में जीत कर बाद भाजपा पूरे 27 सालों के बाद दिल्ली में सरकार बनाने जा रही है। हालांकि इस लेख को लिखे जाने तक भाजपा ने अपने मुख्यमंत्री के नाम की घोषणा नहीं की है। अब देखना है भाजपा की और से अगला मुख्यमंत्री कौन हो सकता है।