
बीकानेर राजकुमारी राजश्री : साल 1971 में देश से भले ही राजशाही खत्म हो गई हो। पर आज आज भी कुछ परिवार है जो समय के साथ तालमेल मिलते हुए अपने पूर्वजों की धरोहर को संभाल के रखे हुए है। भले ही राजशाही परिवार के वंशज होने बाद भी ये लोग आज राज्य नहीं चलते है। पर आज भी इन परिवारों का रहन सहन किसी भी राजा से कम नहीं है। इन परिवारों ने समय के साथ अपने आप को बदला जरूर पर पर आज भी अपने पूर्वजों की विरासत को आज भी आज भी सम्भल के रखा हुआ है। आज भी इन परिवारों के पास महल, जमीन और अकूत दौलत सब है। कुछ ने अपने राजस्व को बढ़ाने के लिए अपने महलों को आलीशान होटल में बदल दिया और व्यापार की तरफ रुख कर लिया। तो कुछ ने राजनीत, खेल, कला में उतर के नाम कमाया। आज हम ऐसी ही एक राजघराने की बात कर रहे हो। जिसी राजकुमारी ने खेल में नाम कमाया। साथ ही साथ देश के लिए मेडल भी जीत के देश का नाम रोशन किया।
कौन है वो राजकुमारी
बीकानेर राजघराने से तालुक रखने वाली बीकानेर के महाराजा डॉ करनी सिंह और महारानी सुशीला की बेटी राजश्री जो कि बीकानेर घराने की राजकुमारी है। राजकुमारी राजश्री का जन्म 4 जून 1953 को मुंबई में हुआ था। इनकी प्रारंभिक शिक्षा दिल्ली के एक कॉन्वेंट स्कूल से पूरी करने के बाद अपनी ग्रेजुएशन लेडी श्री राम कॉलेज से पूरी की। पढ़ाई पूरी करने के बाद इन्होंने बीकानेर राजघराने की कमान संभालने लग गई। बीकानेर आकर उन्होंने अपने पुश्तैनी महल लालगढ़ को एक लक्जरी होटल में तब्दील करवाया। साथ ही में लोग जायद से जायद राजघराने के इतिहास से परिचित हो सके इसलिए इस महल के एक हिस्से में एक म्यूजियम का भी निर्माण करवाया गया। आज इस महल के अंदर एक लक्ष्मी निवास भवन भी है। जो कि शादी, इवेंट और फिल्मों की शूटिंग के मशहूर है। आज राजकुमारी बीकानेर में आने घराने के कई महलों का संचालन और देखरेख करती है साथी ही कई धर्मार्थ ट्रस्ट जैसे महाराजा गंगा सिंहजी ट्रस्ट, करणी सिंग फाउन्डेशन ट्रस्ट, करणी चेरिटेबल फंड ट्रस्ट की भी अध्यक्ष है। साल 1999 में उन्होंने अपने दिवंगत पिता के सम्मान में महाराजा डॉ करनी सिंह जी मेमोरियल फाउंडेशन बनाया जो कि मेडिकल फील्ड में काम करता है।
कई अवॉर्ड और मेडल भी जीत चुकी है| साथ ही लिख चुकी है एक किताब भी।
बीकानेर राजघराना जो कि अपनी खेलो के प्रति रुचि के लिए भी जाना जाता है। इसी को आगे बढ़ाते हुए ही महाराजा करणी सिंह ने बेहद ही कम उम्र में राजश्री को शूटिंग की ट्रेनिंग देना शुरू कर दी थी l शूटिंग के प्रति उनके लगाव ऐसा था कि उन्होंने बेहद ही कम उम्र में भारतीय निशानेबाज टीम में जगह बना ली l उनकी इस प्रतिभा का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है। की महज 7 साल की उम्र में ही नैशनल अवॉर्ड और 16 साल की कम उम्र में अर्जुन अवॉर्ड सम्मानित किया गया। साथ ही जब 2010 के कॉमन वेल्थ गेम्स में क्वीन की मशाल बीकानेर से निकली गई तो वो इसका भी हिस्सा रही। उन्होंने लालगढ़ पैलेस-बीकानेर के महाराजा का घर नामक बुक भी लिखीं है।
पिता भी जीत चुके है कई अवॉर्ड।
वैसे तो राजस्थान का बीकानेर घराना खेलो के प्रति अपने शोक के लिए भी जाना जाता है। जहां मरीज गंगा सिंग के समय पोलो खेल जाता था। इसी शोक को आगे बढ़ाते हुए राजकुमारी के पिता महाराजा डॉ करणी सिंह ने निशानेबाजी के शोक को आगे बढ़ाया। वो निशानेबाजी में अर्जुन अवॉर्ड जीतने वाले पहले खिलाड़ी थे। साथ ही 1960 से 1980 तक ओलंपिक में भाग लेने वाले पहले भारतीय भी थे। उन्होंने 1962 के काहिरा में आयोजित 38 बे विश्व शूटिंग चैंपियन में रजत और 1971 में सियोल में आयोजित एशियन शूटिंग चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल जीता। खेलो के साथ वो 1952 से 1977 तक लोकसभा के सदस्य के रूप में भी काम किया था।
संपति विवाद से भी रहा है नाता।
राजस्थान के आम चुनावों में बीकानेर पूर्व से विधायक सिद्धि कुमारी ने अपनी बुआ राजश्री पे आरोप लगाया था कि वो पूरी संपति को हड़पना चाहती है। गौरतलब हो कि जब बीकानेर की राजमाता सुशीला देवी का निधन हो गया था l तब राजमाता की 80 करोड़ की संपति का ये विवाद चुनावों के दौरान सुर्खियों में रहा था। सिद्धि कुमारी ने अपनी बुआ और अन्य 5 लोगों के खिलाफ शिकायत भी दर्ज करवाई थी कि ये सब गलत और झूठे तथ्य प्रतुत करके मेरी संपति को हड़पना चाहते है।
कितनी संपति की मालिक है राजकुमारी।
कुछ मीडिया रिपोर्ट के अनुसार शाही परिवार की संपति 15 हजार करोड़ की है जिसमें लालगढ़, पैलेस, जूनागढ़ पैलेस, लक्ष्मी निवास पैलेस जैसे कई महल है। हालांकि राजकुमारी का संपति विवाद उनकी भतीजी सिद्धि कुमारी के साथ चल रहा है l
कुछ मीडिया रिपोर्ट के अनुसार शाही परिवार की संपति 15 हजार करोड़ की है जिसमें लालगढ़, पैलेस, जूनागढ़ पैलेस, लक्ष्मी निवास पैलेस जैसे कई महल है। हालांकि राजकुमारी का संपति विवाद उनकी भतीजी सिद्धि कुमारी के साथ चल रहा है l