
मध्य प्रदेश के सीएम मोहन यादव ने शराबबंदी को लेकर एक बड़ा ऐलान कर दिया है। जानकारी के तहत नरसिंहपुर के एक कार्यक्रम में सीएम ने मंच पर 17 धार्मिक जगहों पर शराबबंदी की घोषणा कर दी है ऐसा जाना जाता हे कि 11 जिलों में ये 17 धार्मिक नगर आते है जहां हो रहा शराब का भरमार उपयोग। कल होने वाली कैबिनेट बैठक में इस घोषणा पर लगा सकती हे मोहर cm सरकार।
भोपाल : मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव शराबबंदी पर शक्ति दर्शा रहे हे। उन्होंने गुरुवार 23 जनवरी को प्रदेश के 11 जिलों के 17 नगरों पर किया शराब बंदी का ऐलान। नरसिंहपुर में सीएम मोहन यादव ने एक सभा को संबोधित करते हुए एक बहुत ही बड़ा ही संकल्प ले लिया हे कि अब होगी 17 अलग अलग धार्मिक नगरों में शराब बंद। Cm ने इस कैबिनेट बैठक के दौरान यह फैसला सुनते हुए कहा हे कि अब न कोई देशी ओर न कोई विदेशी, हर तरह की शराब की दुकानों पर इन धार्मिक नगरों पर तले लगा दिए जाएंगे।
Cm ने कहा हे कि भगवान श्री राम अयोध्या में मुस्कुराते हुए दर्शन दे रहे हैं। ओर प्रधानमंत्री नरेंद्रमोदी के नेतृत्व में भी बहुत ही बड़े सांस्कृतिक अनुष्ठानों का पर्व चल रहा है और cm ने बताया हे कि कल हम दोबारा इस से इस घटना का निर्णय कर रहे हे। समाज में चल रही नशाखोरी की आदत लोगो के घरों को परिवारों को बर्बाद कर रही हे, इससे उन घरों के बच्चों के भविष्य पर आंच आ रही हे। ओर उनका जीवन अंधकार की ओर बढ़ रहा रहा हे, बच्चों को शराबी परिवार कोई भी किसी भी प्रकार की कोई शिक्षा नहीं दे पा रहे हैं ओर अपनी सारी कमाई,धन संपत्ति भी दारू के नशे में डूबा रहे हे। यह तक कि धन के साथ – साथ शरीर भी बर्बादी की ओर दस्तक दे रहा हे जिससे लोगों के जीवन दर में कमी होती जा रही हे, व्यक्ति आज शराब की आदतों में इतना डूब चुका हे कि उसे खाने से ज्यादा जरूरी उसके लिए शराब हो गई हे। वह शराब के बहुत ही आदि हो चुके हे। जैसे मानो शराब नहीं,भोजन कर रहे हैं।
सीएम मोहन यादव ने मध्यप्रदेश के 17 धार्मिक जगहों पर शराबबंदी
- उज्जैन ( महाकालेश्वर )
उज्जैन, जिसे प्राचीन काल में अवंतिका के नाम से जाना जाता था, मध्य प्रदेश में स्थित एक ऐतिहासिक और धार्मिक शहर है। यह शहर पवित्र क्षिप्रा नदी के किनारे बसा है और भारत के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग के लिए विश्व प्रसिद्ध है। महाकालेश्वर मंदिर भगवान शिव को समर्पित है और इसकी वास्तुकला अद्भुत है। यहाँ प्रतिदिन भस्म आरती का आयोजन होता है, जो श्रद्धालुओं के लिए विशेष आकर्षण है। उज्जैन न केवल धार्मिक महत्व का केंद्र है, बल्कि इसे ज्योतिष और खगोल विज्ञान का भी प्रमुख स्थान माना जाता है।
- ओरछा ( भगवान रामराजा की नगरी )
ओरछा, जिसे भगवान रामराजा की नगरी कहा जाता है, मध्य प्रदेश के निवाड़ी जिले में स्थित एक ऐतिहासिक और धार्मिक नगर है। यह स्थान अपनी अद्वितीय संस्कृति, भव्य मंदिरों और ऐतिहासिक स्मारकों के लिए प्रसिद्ध है। यहां का रामराजा मंदिर विशेष रूप से महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह भारत का एकमात्र मंदिर है जहां भगवान राम को राजा के रूप में पूजा जाता है। ओरछा की वास्तुकला, बेतवा नदी के किनारे बने किले और छतरियां, और यहां की शांत प्राकृतिक सुंदरता हर पर्यटक और श्रद्धालु को मंत्रमुग्ध कर देती है।
- मंडला ( मां नर्मदा के प्रसिद्ध घाट )
मंडला, मध्य प्रदेश में स्थित, मां नर्मदा नदी के तट पर बसा एक सुंदर और धार्मिक महत्व वाला स्थान है। यहां नर्मदा के प्रसिद्ध घाट अपनी आध्यात्मिक शांति और प्राकृतिक सुंदरता के लिए प्रसिद्ध हैं। सहस्त्रधारा, रानी अवंतीबाई घाट और कालीराम मंदिर घाट जैसे स्थल भक्तों और पर्यटकों को आकर्षित करते हैं। यहां की आरती और नर्मदा परिक्रमा विशेष रूप से मन को मोह लेती हैं। मंडला न केवल धार्मिक आस्था का केंद्र है, बल्कि यह अपने ऐतिहासिक किलों और आदिवासी संस्कृति के लिए भी जाना जाता है।
- महेश्वर ( पर्यटन नगरी, नर्मदा किनारे कई प्राचीन मंदिर )
महेश्वर, मध्य प्रदेश की पर्यटन नगरी, नर्मदा नदी के किनारे स्थित है और अपने ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व के लिए प्रसिद्ध है। यह नगर होलकर वंश की महारानी अहिल्याबाई होलकर के शासनकाल में अपनी सांस्कृतिक धरोहर के लिए विशेष रूप से जाना गया। यहां कई प्राचीन मंदिर हैं, जिनमें राजराजेश्वर मंदिर, काशी विश्वनाथ मंदिर और अहिल्येश्वर मंदिर प्रमुख हैं। नर्मदा नदी के तट पर स्थित यह स्थान आध्यात्मिक शांति और प्राकृतिक सौंदर्य का अनूठा संगम प्रस्तुत करता है। महेश्वर की प्रसिद्ध महेश्वरी साड़ियां भी इसकी पहचान को और विशेष बनाती हैं।
- दतिया ( प्रसिद्ध पीतांबरा माई का मंदिर )
दतिया, मध्य प्रदेश में स्थित, पीतांबरा पीठ के लिए प्रसिद्ध है, जो देवी पीतांबरा माई का प्रमुख मंदिर है। यह मंदिर भारत के शक्तिपीठों में से एक है और तंत्र साधना के लिए विख्यात है। भक्त यहां देवी के दर्शन के लिए दूर-दूर से आते हैं। मंदिर का वातावरण दिव्यता और शांति से भरपूर है, जहां साधना और आस्था का अनोखा संगम देखने को मिलता है। प्राचीन स्थापत्य कला और प्राकृतिक सौंदर्य से घिरा यह मंदिर धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व रखता है।
- ओंकारेश्वर ( 12 ज्योतिर्लिंग में से एक भगवान ममलेश्वर का मंदिर )
ओंकारेश्वर मध्य प्रदेश के खंडवा जिले में स्थित एक पवित्र तीर्थस्थान है, जो नर्मदा नदी के किनारे स्थित है। यह 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक भगवान शिव को समर्पित मंदिर है। यहां भगवान शिव के ममलेश्वर ज्योतिर्लिंग का विशेष महत्व है। ममलेश्वर मंदिर ओंकारेश्वर मंदिर के ठीक सामने नर्मदा नदी के दूसरे किनारे पर स्थित है। यह धार्मिक स्थल अपनी अद्भुत वास्तुकला, आध्यात्मिक शांति और प्राकृतिक सुंदरता के लिए प्रसिद्ध है। यहां शिव भक्त बड़ी संख्या में दर्शन के लिए आते हैं और नर्मदा नदी में स्नान का विशेष महत्व माना जाता है।
- मुलताई ( प्रसिद्ध धार्मिक ताप्ती नदी का उद्गम स्थल )
मुलताई, मध्य प्रदेश के बैतूल जिले में स्थित एक ऐतिहासिक और धार्मिक स्थान है, जिसे ताप्ती नदी के उद्गम स्थल के रूप में जाना जाता है। यह स्थल प्रकृति की अद्भुत छटा और धार्मिक आस्था का संगम है। ताप्ती नदी, जिसे “ताप्ती मां” के नाम से भी पूजा जाता है, यहाँ के प्रसिद्ध सूर्यकुंड से निकलती है। मुलताई में ताप्ती मंदिर और आसपास के पवित्र स्थल भक्तों और पर्यटकों को आकर्षित करते हैं। यह स्थान आध्यात्मिक शांति और प्राकृतिक सुंदरता का अद्भुत मेल प्रस्तुत करता है।
- जबलपुर ( नर्मदा तट पर बसा शहर भेड़ाघाट )
जबलपुर, मध्य प्रदेश का एक खूबसूरत शहर, नर्मदा नदी के तट पर स्थित है और अपनी प्राकृतिक सुंदरता के लिए प्रसिद्ध है। यहां स्थित भेड़ाघाट अपनी संगमरमर की चट्टानों, धुआंधार जलप्रपात और शांत नर्मदा नदी के कारण पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र है। संगमरमर की चट्टानों पर सूरज की रोशनी से उत्पन्न रंगों का खेल देखने लायक होता है। नर्मदा की सैर के लिए नौका विहार एक अद्भुत अनुभव प्रदान करता है। भेड़ाघाट का ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व भी है, जो इसे एक अनोखी पहचान देता है।
- नलखेड़ा ( मां बगलामुखी माता का प्रसिद्ध मंदिर )
नलखेड़ा, मध्य प्रदेश के आगर-मालवा जिले में स्थित एक धार्मिक और ऐतिहासिक स्थल है, जहां मां बगलामुखी का प्रसिद्ध मंदिर स्थित है। यह मंदिर तांत्रिक साधना और श्रद्धालुओं के लिए विशेष महत्व रखता है। मां बगलामुखी, दस महाविद्याओं में से एक हैं, जिन्हें विजय और शत्रुनाश की देवी माना जाता है। यहां दूर-दूर से भक्त अपनी मनोकामनाएं पूर्ण करने और आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए आते हैं। मंदिर की प्राचीन स्थापत्य कला और यहां का आध्यात्मिक वातावरण इसे एक अनोखा तीर्थस्थल बनाता है।
- सलकनपुर ( मां विजयसेन देवी माता मंदिर )
सलकनपुर में स्थित मां विजयासन देवी का मंदिर मध्य प्रदेश के सीहोर जिले में विंध्याचल पर्वत की ऊंचाई पर स्थित एक प्राचीन और प्रसिद्ध तीर्थस्थल है। यह मंदिर मां दुर्गा के विजयासन रूप को समर्पित है, जिसे शक्ति और विजय का प्रतीक माना जाता है। यहां श्रद्धालु बड़ी संख्या में दर्शन करने आते हैं, खासकर नवरात्रि के समय, जब मंदिर में विशेष पूजा-अर्चना और मेले का आयोजन होता है। पहाड़ी पर स्थित यह मंदिर अपनी प्राकृतिक सुंदरता और आध्यात्मिक वातावरण के लिए भी प्रसिद्ध है। भक्तगण लगभग 1400 सीढ़ियां चढ़कर मां के दर्शन करते हैं, जो उनके समर्पण और श्रद्धा का प्रतीक है।
- चित्रकूट ( धार्मिक नगरी, भगवान राम ने वनवास के दौरान यह समय बिताया था )
चित्रकूट एक प्रमुख धार्मिक नगरी है, जो उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश की सीमा पर स्थित है। यह स्थान विशेष रूप से भगवान राम, माता सीता और लक्ष्मण के वनवास के समय से जुड़ा हुआ है। कहा जाता है कि भगवान राम ने यहां अपने वनवास के दौरान समय बिताया था। चित्रकूट में स्थित राम घाट, मंदाकिनी नदी और राम की पहचान से जुड़ी कई धार्मिक स्थल श्रद्धालुओं के लिए आकर्षण का केंद्र हैं। इस स्थान का धार्मिक और ऐतिहासिक महत्व अत्यधिक है, और यह भारतीय संस्कृति और इतिहास में महत्वपूर्ण स्थान रखता है।
- मंदसौर ( मां शारदा का प्रसिद्ध मंदिर )
मंदसौर मध्य प्रदेश का एक ऐतिहासिक शहर है, जो अपनी धार्मिक और सांस्कृतिक धरोहर के लिए प्रसिद्ध है। यहां स्थित मां शारदा का मंदिर बहुत प्रसिद्ध है। यह मंदिर शारदीय नवरात्रि के दौरान भक्तों के लिए एक प्रमुख तीर्थ स्थल बन जाता है। मंदिर में मां शारदा की सुंदर प्रतिमा स्थापित है, जो भक्तों को आशीर्वाद देती है। इस मंदिर का धार्मिक महत्व भी बहुत अधिक है, और दूर-दूर से लोग यहां दर्शन करने आते हैं। मंदिर का शांत वातावरण और धार्मिक आस्था यहां के दर्शन को और भी विशेष बनाता है।
- बरमानघाट ओर मंडलेश्वर ( दोनों ही मां नर्मदा के प्रसिद्ध घाट हे )
बरमानघाट और मंडलेश्वर दोनों ही मध्यप्रदेश के प्रसिद्ध मां नर्मदा के घाट हैं। बरमानघाट धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है और यहां नर्मदा नदी के किनारे श्रद्धालु स्नान करने के लिए आते हैं। यह स्थान नर्मदा के तट पर स्थित एक शांतिपूर्ण स्थल है, जहाँ भक्तगण पूजा अर्चना और ध्यान में लीन रहते हैं। वहीं, मंडलेश्वर भी नर्मदा के किनारे बसा एक ऐतिहासिक स्थल है, जो विशेष रूप से शिव भक्तों के लिए प्रसिद्ध है। दोनों घाट नर्मदा की महिमा और यहां की धार्मिक सांस्कृतिक धरोहर को दर्शाते हैं।
- पन्ना ( जुगल किशोर भगवान का प्राचीन मंदिर )
पन्ना में स्थित जुगल किशोर भगवान का प्राचीन मंदिर धार्मिक और ऐतिहासिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है। यह मंदिर पन्ना जिले के प्रमुख दर्शनीय स्थलों में से एक है। मंदिर की स्थापत्य कला अत्यंत सुंदर और आकर्षक है, जिसमें प्राचीन शैली के शिल्प का अद्भुत मेल देखा जाता है। यहाँ भगवान श्री कृष्ण और राधा की सुंदर मूर्तियाँ प्रतिष्ठित हैं। इस मंदिर का धार्मिक महत्व भी है, जहाँ श्रद्धालु दूर-दूर से आकर पूजा-अर्चना करते हैं। यह स्थान शांति और भक्ति का प्रतीक है।
- सांची को भी इसमें शामिल किया जा सकता है, क्योंकि यह बेहद प्राचीन जगहों में से एक हे
सांची भारत के मध्य प्रदेश राज्य में स्थित एक ऐतिहासिक स्थल है, जो विश्व धरोहर स्थलों में शामिल है। यह जगह अपनी प्राचीन स्तूपों, मंदिरों और अभिलेखों के लिए प्रसिद्ध है। सांची का महत्व धार्मिक और सांस्कृतिक दृष्टि से अत्यधिक है, क्योंकि यह बौद्ध धर्म से जुड़ी कई महत्वपूर्ण संरचनाओं का स्थल है। यहां की स्थापत्य कला और शिल्प कौशल आज भी दर्शकों को आकर्षित करता है। इसे भारतीय इतिहास और संस्कृति की धरोहर के रूप में संरक्षित किया गया है।
- अमरकंटक ( नर्मदा उद्गम स्थल, नर्मदा मंदिर )
अमरकंटक मध्य प्रदेश राज्य के अनुपपुर जिले में स्थित एक प्रमुख तीर्थ स्थल है, जो नर्मदा नदी के उद्गम स्थल के रूप में प्रसिद्ध है। यहाँ से नर्मदा नदी की शुरुआत होती है, जो भारत की सबसे महत्वपूर्ण और पवित्र नदियों में एक मानी जाती है। अमरकंटक में नर्मदा मंदिर भी स्थित है, जो श्रद्धालुओं के लिए अत्यंत पवित्र स्थान है। यहाँ का प्राकृतिक सौंदर्य और धार्मिक महत्व लोगों को आकर्षित करता है। यह स्थान हज़ारों सालों से धार्मिक यात्रियों और पर्यटकों के लिए एक महत्वपूर्ण गंतव्य रहा है।