12 अप्रैल 2025 को देश भर में हनुमान जयंती का पर्व बड़े ही धूम धाम से मनाया गया है। आगे हम जाएंगे हनुमानजी से जुड़े रोचक तथ्य।
दो बार हनुमान जयंती।
हनुमान जयंती साल में दो बार मनाई जाती है। पहली जयंती जिसे हनुमानजी के जन्म के रूप में मनाया जाता है। वही दूसरी जयंती जिसे सीताजी द्वारा दिए अमरता के वरदान से जोड़ के देखा जाता है।
आज भी है धरती पे वास।
हनुमानजी इकलौते ऐसे देवता है। जो कलयुग में आज भी धरती पे वास करते है। जो और अपने भक्तों के सभी संकटों को दूर करके हर प्रकार की परेशानी से निजात दिलाते है।
हनुमानजी के थे 5 भाई
ब्रह्मांडपुराण के अनुसार हनुमानजी के पिता बानर राज केसरी के 6 पुत्र मतिमान, श्रुतिमान, गतिमान, धृतिमान, केतुमान और हनुमान जी थे। जिसमें हनुमानजी सबसे बड़े पुत्र थे।
एक पुत्र भी था।
हनुमानजी का एक पुत्र मकरध्वज भी था। जिसका जन्म मछली के पेट से हुआ था। कहते है लंका को जलाने के बाद जैसे ही हनुमानजी ने समुद्र में डुबकी लगाई। तो उनके पसीने को एक मछली ने निगल लिया। और उसी मछली के पेट से मकरध्वज का जन्म हुआ।
सिंदूर चढ़ाने के पीछे की कथा।
कथा के अनुसार एक जब माता सीता सिंदूर लगा रही थी तब हनुमानजी ने इसका कारण पूछा तो माता सीता ने बताया के इसे भगवान राम की लंबी उम्र के लिए लगाया है। इसी बात को ध्यान में रखकर हनुमान जी ने अपने पूरे शरीर में सिंदूर लगा लिया की इससे भगवान राम अमर हो जाएंगे। तब से ही हनुमानजी को सिंदूर चढ़ाने की परंपरा है।
सूर्य नमस्कार का अविष्कार किया।
आज हम जो सूर्य नमस्कार करते है उसका अविष्कार हनुमानजी ने ही किया था। कथा के अनुसार अपने गुरु सूर्य से सभी प्रकार का ज्ञान प्राप्त करने के बाद जब हनुमानजी ने उन्हें गुरु दक्षिणा देना चाहा तो उन्होंने लेने से मना कर दिया। उसके बाद हनुमानजी ने कुछ यौगिक क्रियाओं से बंदना की जिसे आज सूर्य नमस्कार के नाम से जानते है।
पंचमुखी अवतार।
मायावी अहिरावण की शक्तियों को कमजोर करने के लिए हनुमानजी ने पंचमुखी अवतार लिया था। रावण से युद्ध के दौरान जब विभीषण ने हनुमानजी को बताया के अहिरावण की शक्तियां 5 दियो में है। जिन्हें एक साथ बुझाने पे ही वो कमजोर हो जाएगा। तब हनुमानजी ने पंचमुखी अवतार लेकर पांचों दियो को एक साथ बुझाया था।