हर साल होली के आठ दिन के बाद चेत्र माह के कृषण पक्ष की अष्टमी को शीतला अष्टमी के रूप में मनाया जाता है| इस बार शीतला अष्टमी 22 मार्च 2025 को है
कोन है शीतला माता
शीतला माता का विस्तृत वर्णन स्कंद पुराण में मिलता है| माता शीतला को मा दुर्गा का अवतार माना गया है|
रोगों से बचाने वाली देवी
1. शीतला माता को रोगों से बचाने वाली देवी भी माना जाता है। कहते है के शीतला अष्टमी पे विधि विधान से पूजन करने से चेचक, टाइफाइट जैसे रोगों से मुक्ति मिलती है और घर में सुख संपति आती है।
बसीओढ़ा के नाम से भी जानते है।
शीतला अष्टमी को बासोड़ा और बसीओढ़ा के नाम से भी जानते है। इस दिन माता को वासी खाने का भोग लगाया जाता है। और उसके बाद इसी भोजन को प्रसाद के रूप में ग्रहण किया जाता है।
कैसा है माता का स्वरूप
माता की सवारी गर्दभ है। वही उनके हाथों में कलश, सूप, झाड़ू और नीम की पत्तियां धारण किए रहती है। जो कि स्वक्षता का प्रतीक माना जाता है।
कहा-कहा है माता के मंदिर
वैसे तो शीतला माता के मंदिर पुरे भारत में है| लेकिन शीतला माता के प्राचीन मंदिर कोसांबी, गुरुग्राम और भोपाल में स्थित है| गुरुग्राम मंदिर 400 वर्ष से भी जायद पुराना है| इसे महाभारत काल से भी जोड़ के देखा जाता है|
कहा-कहा है माता के मंदिर
एक कथा के अनुसार प्रताप नगर नामक गाव में लोग जब शीतला माता की पूजा कर रहे थे| तो गाव वालो ने गरम खाना का भोग माता को लगा दिया| जिससे देवी नाराज हो गई और गाव में भानकर आग लग गई| और सभी गाव वाले बीमार पड़ने लगे लेकिन वह रहेने वाली एक बुजुर्ग महिला का घर आग से बच गया| जब उस महिला से गाव वालो ने पूछा तो महिला ने बतया के वो माता को ठंडा प्रसाद अर्पित करती है| इस के बाद सभी गाव वालो ने निर्णय लिया के इस दिन माता को ठंडा प्रसाद का भोग लगाया जायगा तभी से ये परम्परा चली आ रही है|